सरकार सभी को शिक्षा का समान अवसर क्यों देना चाहती है?व्याख्या कीजिए।-
भारत एक लोकतांत्रिक देश है।लोकतंत्र की सफलता उसके नागरिकों की शिक्षा पर निर्भर करती है।शिक्षा को व्यक्ति के व्यक्तित्व के कुल विकास का लक्ष्य बनाना चाहिए। शिक्षा वास्तविक जीवन से सीखने और हमारे आसपास के स्पंदित गतिशील समाज से तो सीखने को सिखाने वाले की पसंद पर गति पर होना चाहिए।यह केवल इस तरह से है कि शिक्षा वास्तविक जीवन के लिए प्रसांगिक हो सके हो जाती है।इसलिए व्यक्तियों को उनके व्यक्तित्व को पूर्ण सीमा तक विकसित करने के लिए शैक्षिक अवसर प्रदान किए जाते हैं।
भारत का संविधान देश में सभी लोगों के लिए शैक्षिक अवसरों के प्रावधान के लिए भी लिखता है।क्योंकि चूँकि शिक्षा विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है। यह शिक्षा के माध्यम से ही है। कि व्यक्ति उस स्थिति, स्थिति और परित्याग को प्राप्त करने की आकांक्षा कर सकता है।अतः प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर देना चाहिए।
साधारणतया अवसर को असमानता का अर्थ है।प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता के विकास के लिए समान अवसर देना।अवसर की समानता की अवधारणा की व्याख्या दो प्रकार से की जा सकती है। क्षैतिज समानता और ऊर्ध्वाधर समानता। क्षैतिज समानता सभी घटकों को समान तरीके से व्याख्या करती है।जबकि ऊर्ध्वाधर समानता को अवसर की समानता लाने के लिए विशेष विचार की आवश्यकता होती है।
निम्नलिखित कारणों से शिक्षा में अवसर की समानता पर जोर देने की आवश्यकता है।
- यह एक समानतावादी समाज की स्थापना के लिए आवश्यक है।
- इसकी आवश्यकता है क्योंकि यह लोकतंत्र में सभी लोगों को शिक्षा के माध्यम से है की लोकतांत्रिक संस्था की सफलता सुनिश्चित है।
- शैक्षिक अवसरों की समानता एक राष्ट्र की तेजी से उन्नति सुनिश्चित करेगी। जब लोगों के पास शिक्षा प्राप्त करने के अवसर होंगे,तो उसके पास अपनी प्राकृतिक प्रतिभा को विकसित करने और इस तरह से समाज का समृद्ध करने का मौका मिलेगा।
- शैक्षिक अवसर की समानता राष्ट्र की सभी लोगों के बीच प्रतिभा की खोज का विस्तार करेगी।
- यह एक समाज की जनशक्ति की जरूरतों और कुशल कर्मियों की उपलब्धता के बीच एक करीबी संबंध विकसित करने में मदद करेगी।