बेसिक शिक्षा के आधारभूत सिद्धांत-
बेसिक शिक्षा के निम्नलिखित सिद्धांत है-
1. निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का सिद्धांत-प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य तथा निशुल्क हो इस दिशा में माननीय गोखले जी ने अपने कार्यकाल में निरंतर प्रयास किए लेकिन उनको सफलता नहीं मिल सकी गांधी जी द्वारा प्राथमिक शिक्षा को निशुल्क तथा अनिवार्य बनाने के लिए 6 साल से 14 साल तक आयु के बालकों के लिए इस सिद्धांत को शिक्षा का सूत्र मान लिया गया |
2.शिक्षा में आत्मनिर्भरता का सिद्धांत-भारत जैसे निर्धन देश के लिए ऐसी शिक्षा उपयुक्त हो सकती है |
जो आत्मनिर्भर हो और सहायता के लिए सरकार का मुंह ना देखें विद्यमान में बालक बालिका जिस वस्तु का उत्पात करें उसको राज्य सरकार खरीदे और उस धन सेअध्यापकों के वेतन तथा विद्यालय के अन्य खर्चे निकाल सके बालको से कोई शुल्क ना लिया जाए क्योंकि उनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं से उनकी पढ़ाई का खर्च चलता रहेगा
3.हस्त कौशल अथवा शिल्प को शिक्षा का केंद्र बिंदु बनाने का सिद्धांत-बेसिक शिक्षा का केंद्र बिंदु कोई हस्तकला है,उदाहरण के लिए कताई बुनाई कृषि बागवानी मिट्टी का काम लकड़ी का काम चमड़े का काम इत्यादि में से किसी एक हस्तकौशल यह सिर्फ को केंद्र बनाकर बेसिक शिक्षा में अन्य विषयों की शिक्षा की व्यवस्था की गई है उदाहरण के लिए कृषि कार्य सिखा कर शिक्षक बालकों को भूगोल विज्ञान भाषा आदि का ज्ञान दे सकता है बालकों को प्रत्येक क्रिया के कार्य कारण संबंध को समझाना जा सकता है खेत कि क्यों गहरी जुताई की जाती है?खेत में खाद क्यों दी जाती है? बीजों का अंकुरण कैसे करते हैं? फसल पैदा करने के पश्चात कहां बेची जा सकती है? अच्छा बीज कहां से प्राप्त किया जाता है? आदि ऐसी बातें हैं जिनकी जानकारी का संबंध विषयों से होते हुए भी संपूर्ण ज्ञान इस प्रकार को माध्यम बनाकर दिया जा सकता है बालक कुछ सीखता है वह करके सीखता है अपने अनुभव के आधार पर सीखता है इसलिए यह ज्ञान बड़ा उपयोगी होता है
4.शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो-मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा सुलभ होती है मातृभाषा सीखने के पूर्व विदेशी भाषा सिखाना उतना ही विवेक रहित है जितना बच्चे को चलने से पहले चढ़ना सिखाना यह सिद्धांत सर्वमान्य है इसलिए इसकी कोई आलोचना नहीं की गई है लेकिन अंग्रेजी भाषा की शिक्षा की अवहेलना का भय था क्योंकि यदि निम्न माध्यमिक स्तर अंग्रेजी का ज्ञान ना दिया गया तो बालकों की शिक्षा अधूरी रह जाएगी सन 1937 में जब हिंदी का प्रचार प्रसार इतना अधिक नहीं था और प्राथमिक स्कूलों में प्राथमिक स्कूलों से ही बच्चों की अंग्रेजी में शिक्षा देने की बात करती थी उस समय तो यह सिद्धांत सही था लेकिन अब जब देश में हिंदी प्रचार पर्याप्त मात्रा में हो चुका है तब इस सिद्धांत की उपयोगिता दिख नहीं रही
5.परीक्षा पद्धति का विरोध-बेसिक शिक्षा में परीक्षा प्रणाली को अभिशाप मानकर छोड़ दिया गया है छात्रों की पद्धति का मूल्यांकन मनोवैज्ञानिक ढंग से करने का प्रस्ताव रखा गया है यह बात उचित है कि शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानार्जन होना चाहिए परीक्षाएं पास करना शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानार्जन होना चाहिए परीक्षाएं पास करना शिक्षा का उद्देश्य नहीं है प्राथमिक कक्षाओं में ऐसे करने से अपव्यय है और अवरोधन की समस्या उत्पन्न होने होने का प्रश्न ही नहीं उठेगा कुछ राज्यों में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में इस सिद्धांत को अब भी मान्यता दी जाती है कक्षा 5 तक कोई परीक्षा नहीं ली जाती है बालकों की कक्षा उन्नति उनके वर्ष भारत के कार्य को देख कर दी जाती थी
6.स्वतंत्रता का सिद्धांत-बेसिक शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है वह बालकों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता देती है विद्यालय में स्वतंत्रता का वातावरण रखा जाता है वर्तमान शिक्षा प्रणाली के समान नियंत्रण बेसिक शिक्षा प्रणाली में नहीं है इस प्रकार खेल की क्रिया में बालक की रुचि और आनंद लेता है उसी प्रकार किसी शिल्प का कोई व्यवसाय कार्य करने में उसे आनंद की प्राप्ति होती है ना ऐसे विषयों को रखना पड़ता है और ना ही विद्यालय की नियंत्रण व्यवस्था में अनुकूल कार्य करना पड़ता है ना उसे पाठ्यक्रम की कठोर नेता का सामना करना पड़ता है और ना पाठ पुस्तकों के निश्चित पाठक को पूरा पूर्ण करना पड़ता है जो कुछ ज्ञान वह प्राप्त करता है वह स्वतंत्र रूप से क्रिया करके तथा अथवा अनुभव द्वारा प्राप्त करता है
7.बेसिक शिक्षा का आधार आर्थिक है-बेसिक शिक्षा में कक्षा 1 से कक्षा 7 तक छात्र अपनी रूचि के किसी शिल्प अथवा व्यवसाय का ज्ञान प्राप्त करता है 7 वर्ष का यह ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात यदि वह विद्यालय छोड़ भी दें तो उसे बेरोजगारी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा पड़ेगा यह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो पाएगा इसके इससे बेकारी की समस्या हल होगी साथ ही देश में उत्पाद की वृद्धि भी होगी
8.सुयोग्य नागरिक का शिक्षा-बेसिक शिक्षा का यह प्रमुख उद्देश्य बालकों में प्रजातांत्रिक गुणों का विकास करके राष्ट्र के लिए उत्तम नागरिक तैयार करना