व्यक्तिगत भिन्नताओं से आप क्या समझते हैं?इसे प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों,शैक्षिक महत्व और सिद्धांत

 व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ है-

व्यक्तिगत भिन्नताओं से आप क्या समझते हैं?इसे प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन करें


जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों में रंग रूप आकार रूपरेखा आदि के आधार पर विभिन्न ता पाई जाती है उसी को व्यक्तिगत जनता कहते हैं विभिन्नता

व्यक्तिगत विभिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक-

व्यक्तिगत विभिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं 
  •  वंशानुक्रम
  • वातावरण
  • शारीरिक और मानसिक कारण 
  • संवेगात्मक कारक  
  • पारिवारिक स्थिति 
  • बौद्धिक कारक 
  • खानपान 
  • शारीरिक विकास 
व्यक्तिगत विकास के स्तर पर शिक्षा के कार्य-शिक्षा का अर्थ, कार्य तथा उद्देश्य परस्पर इतने हैं, कि उसमे किसी प्रकार की विभाजन रेखा खींचना अत्यंत कठिन है।शिक्षा के अंतर्गत उन सभी बातों का समावेश होता है।जिन्हे मनुष्य अपने तथा समाज के कल्याण के लिए करता है।क्योंकि व्यक्ति समाज का अभिन्न अंग है।देश काल और परिस्थितियों के अनुसार मनुष्य की क्रियाओं का स्वरूप बदलता रहता है।
  मनुष्य के कार्य के संबंध में विभिन्न शिक्षा शास्त्री तथा विचारक एकमत नहीं है।जीवन जगत और सामाजिक परिवर्तन के साथ शिक्षा के कार्यों में भी अंतर देखने को मिलता है।

शिक्षा के कार्य को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है-
  • सामान्य कार्य
  • विशिष्ट कार्य
 सामान्य कार्य-मानव जीवन में शिक्षा के निम्नलिखित कार्य है।
  1. व्यक्तित्व का विकास-शिक्षा का महत्वपूर्ण विकास व्यक्तित्व का संतुलन तथा सर्वागीण विकास करना है।सर्वांगीण विकास का आशय है।संपूर्ण पहलुओं का विकास दूसरे शब्दों में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक,आध्यात्मिक विकास सर्वांगीण विकास है।यदि व्यक्ति का सन्तुलित विकास नहीं हुआ और उसका कोई भी पहलू अधिक विकसित हो गया।और कोई पहलू अविकसित रह गया इससे व्यक्तित्व का संतुलन बिगड़ जाता है।और जीवन के संघर्षों का मुकाबला करने में असमर्थ हो जाएगा
  2. आंतरिक शक्तियों का विकास-मनुष्य कुछ जन्मजात तथा आंतरिक शक्तियों को लेकर पैदा होता है।जैसे प्रेम, स्नेह, तर्क,कल्पना तथा आत्मगौरव नामक प्रवृत्तियों को लेकर पैदा होता है।शिक्षा का यह प्रथम कर्तव्य है।कि वह इन जन्मजात अभी योग्यताओं का विकास करें इस संबंध मे पेस्टोलॉजी ने कहा है।शिक्षा मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का स्वाभाविक सामजस्यपूर्ण तथा प्रगतिशील विकास है,
  3. व्यवसायिक कुशलता-शिक्षा का अर्थ है।कि वह व्यक्तित्व का व्यवसायिक का विकास करें जिससे वह अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति में समर्थ हो 
विशिष्ट कार्य-
शिक्षा के विशिष्ट कारण निम्नलिखित है
  • सामाजिक सुधार-शिक्षा का यह काम है।कि वह समाज की उन्नति का साधन बने वास्तव में व्यक्ति समाज की उत्पत्ति का मूल है।इसलिए व्यक्ति को इस प्रकार की शिक्षा मिलनी चाहिए कि पहले वह अपने समाज को समझे फिर समाज के सुधार के लिए प्रयास करें
 ओटवे के अनुसार-"निसंदेह यह सत्य है,कि सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा को महत्वपूर्ण कार्य करना पड़ता है"
सामाजिक कुशलता का विकास।
 प्रोफेसर वागले के अनुसार-"सामाजिक दृष्टि से कुशल वह होता है।जो राष्ट्र के लिए भार न हो,दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें तथा जो समाज की उन्नति में यथाशक्ति योग देंता हो आज हमारे देश में इसी प्रकार की शिक्षा से समाज राष्ट्र प्रगति कर रहा है।
राष्ट्रीय भावना का विकास-हमारे देश में जातिवाद, सांप्रदायिकता, प्रांतीयता,क्षेत्रीयता,भाषावाद तथा गुटावादी के कारण राष्ट्रीय एकता में बाधा पड़ रही है।अलगाववादी प्रवृत्ति के कारण आपस में वैमनस्य की भावना में वृद्धि हो रही है।और हमारी राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ रही है।शिक्षा के द्वारा इस विघटनकारी प्रगति को रोका जा सकता है। और राष्ट्र को इस संकट से उभारा जा सकता है।शिक्षा के द्वारा संकीर्ण भावना को नष्ट कर उदार तथा विस्तार हित की भावना पोषण किया जाना चाहिए

व्यक्तिगत भिन्नता के प्रकार-

व्यक्तिगत भिन्नता के अंतर्गत रूप,रंग,नाक,नक्शा,शरीर रचना, विशिष्ट योग्यता,बुद्धि,रुचि,स्वभाव उपलब्धि आदि की भिन्नता से व्यक्ति के समग्र रूप की पहचान की जाती है।घर में भाई बहनों में भी भिन्नता पाई जाती है।जहां तक की जुड़वा बच्चों में भी भिन्नता पाई जाती है।इसलिए स्किनर ने कहा है-व्यक्तिगत भिन्नताओ में वे सभी पहलू शामिल है, जिन का मापन संभव है।

  • शारीरिक भिन्नता-शारीरिक दृष्टि से बच्चों में अनेक प्रकार की विभिन्नताओ का अवलोकन होता है।जैसे रंग रूप, बनावट,योन भेद, शारीरिक परिपक्वता आदि।
  • मानसिक भिन्नता-मानसिक विभिन्नता में कोई व्यक्ति प्रभावशील कोई अत्यधिक बुद्धिमान तो कोई मूर्ख होता है।इस योग्यता की जांच करने के लिए बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया गया है।वुडवर्थ का मत है- कि प्रथम कक्षा में बालकों की बुद्धि लब्धि 60से 160 के बीच तक होती है।
  • संवेगात्मक विभिनता-इस विभिन्नता के कारण ही कुछ व्यक्ति उदार हदर के कुछ कठोर हदय के तो कुछ प्रसन्न चित्त होते है।इनकी संवेगात्मक विभिन्नता का मापन करने के लिए संवेगात्मक परीक्षण का निर्माण किया गया है।
  • रुचियो मे विभिन्नता- रुतियों की विभिन्नता में किसी को संगीत में किसी को खेल में और किसी को वार्तालाप में रुचि होती है।प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आयु की वृद्धि के साथ रुचि परिवर्तन होती रहता है।यही कारण है कि बालको और वयस्कों में रुचियो में विभिन्नता होती है।
  • विचारों में विभिन्नता-विचारों की दृष्टि से व्यक्तियों की विभिन्नता को सामान्यतः स्वीकार किया जाता है। व्यक्तियों की इस विचारों की विविधता रूप से मिलती है।जैसे-उदार अनुदार धार्मिक अधार्मिक नैतिक अनैतिक आदि
  • सीखने में विभिन्नता-कुछ बालक किसी कार्य को जल्दी और कुछ बालक उसी कार्य को देर से सीखते हैं।इस संबंध में को एंड क्रो ने लिखा है"एक ही आयु के बालक में सीखने की तत्परता का समान स्तर होना आवश्यक नहीं है।उसकी सीखने की भिन्नता के कारण हैउसकी परिपक्वता की गति में विभिन्नता और उसके द्वारा किसी बात का पहले से सीखा होना"
  • गत्यात्मक योग्यता में विभिन्नता - इस विभिन्नतओ के कारण ही कुछ व्यक्ति एक कार्य को अधिक कुशलता से और कुछ कम कुशलता से करते हैं। क्रो एंड क्रो ने लिखा है-शारीरिक क्रियाओं में सफल होने की योग्यता में एक ही समूह के व्यक्तियों में भी महान विभिन्नता होती है।
  • चरित्र में विभिन्नता-चरित्र की दृष्टि से भी सभी व्यक्तियों में कुछ ना कुछ विभिन्नता का होना अनिवार्य है। व्यक्ति अनेक बातों से प्रभावित होकर एक विशेष प्रकार का चरित्र का निर्माण करता है।शिक्षा, संगीत ,आस-पड़ोस, आदि सभी का चरित्र पर प्रभाव पड़ता है।

  • विशिष्ट योग्यता में विभिन्नता-विशेषताओं की दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक विभिन्नता का अनुभव किया जाता है।इस संबंध में एक उल्लेखनीय बात है।कि सब व्यक्तियों में विशिष्ट योग्यता नहीं होती है।
  • व्यक्तित्व में विभिन्नता-व्यक्तित्व की विविधता में हमें जीवन में अंतर्मुखी,बहिर्मुखी,सामान्य और असाधारण व्यक्तित्व के लोगों से कभी ना कभी भेंट हो जाती है।टायलर ने लिखा है-संभवत "व्यक्ति योग्यता की विविधताओं के बजाय व्यक्तित्व की विभिन्न गांवों से अधिक प्रभावी होता है"
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