वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जीवन/साहित्यिक परिचय

वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जीवन/साहित्यिक परिचय

 नाम - वासुदेव शरण अग्रवाल
जन्म सन 1904 ई.
 जन्म स्थान - मेरठ जिले के खेड़ा नामक ग्राम में 
 उपाधि - पी.एच.डी. , डी लिट
 मृत्यु सन 1967 ई.
 शिक्षा- एम.ए.

 जीवन परिचय-



भारतीय संस्कृति और पुरातत्व के विद्वान वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जन्म 1904 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के खेड़ा नामक ग्राम में हुआ था यह प्रतिष्ठि वैश्य परिवार से थे इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया, फिर इन्होंने सन 1929 ईस्वी में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया फिर मथुरा के पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष पद में रहे। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से सन 1941 ईस्वी में पी.एच.डी. तथा सन 1946 ईस्वी में डी लिट की उपाधि प्राप्त की

 सन 1946 ईस्वी  से लेकर सन 1951 ईस्वी  तक सेंट्रल एशिया एंटीक्विटीज म्यूजियम के सुपरिटेंडेंट और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्य सफलतापूर्वक किया सन 1951 ईसवी  में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ एंड्रोलॉजी (भारतीय महाविद्यालय) में प्रोफेसर नियुक्त हुए इनके व्याख्यान का विषय "पणीनी" था

 अग्रवाल जी भारतीय मुद्रा कोष परिषद -नागपुर, भारतीय संग्रहालय परिषद -पटना तथा ऑल इंडिया ओरिएंटल कांग्रेश, आदि संस्थानों के सभापति पद पर भी रह चुके हैं इन्होंने  पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी, आदि भाषाओं में अच्छा ज्ञान हासिल किया तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का गहन अध्ययन किया सन 1967 ईस्वी में इन्होंने साहित्य की दुनिया से अलविदा ले लिया

साहित्यिक परिचय-

अग्रवाल जी हिंदी साहित्य में निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध थे। अग्रवाल जी ने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य के विकास में गुजारा था इन्होंने अपनी रचनाएं खड़ी बोली में की हैं इनकी भाषा सरल सुबोध तथा शैली विचार प्रधान है| इन्होंने कई हिंदी पुस्तकों को संस्कृत में अनुवाद किया है इन्होंने प्राचीन महापुरुषों जैसे- श्री कृष्ण वाल्मीकि मनु आदि की आधुनिक दृष्टिकोण से बुद्धि संगत चरित्र चित्रण किया है

कृतियां-

डॉ अग्रवाल ने निबंध रचना शोक और संपादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-

1. निबंध संग्रह- पृथ्वी पुत्र, कल्पवृक्ष, कला और संस्कृति, मातृभूमि, भारत की एकता , आदि
2. संपादक-  पद्मावत की संजीवनी व्याख्या, बाणभट्ट की हर्ष चरित्र का संस्कृत अध्ययन, आदि
3. शोक - परिणी कालीन भारत

प्रसिद्ध पुस्तकें- कला और संस्कृति, भारत सावित्री,  कादंबरी, आदि

 भाषा शैली-

 खड़ी सरल, सुबोध तथा विचार प्रधान है


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