आवेश और उसके प्रकार तथा आवेश संरक्षण का सिद्धांत

  आवेश (Charge)

किसी भी वस्तु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण से वस्तु जिस प्रकृति (धनात्मक और ऋणात्मक) की हो जाती है। उसे आवेश कहते हैं।
आवेश किसी वस्तु का वह गुण है, जो उस वस्तु में विद्युत और चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करता है। इसे प्रदर्शित "q" करते हैं आवेश का मात्रक कुलाम होता है।

 सूत्र-   q= ± ne     

जहां,n= इलेक्ट्रॉन की संख्या
      eइलेक्ट्रॉन का आवेश


 आवेश की प्रकृति-


 आवेश की प्रकृति दो प्रकार की होती है-
  1. धनात्मक आवेश 
  2.  ऋणात्मक आवेश 


धनात्मक आवेश (Positive Charge)

जब किसी वस्तु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। तो उस पर धनात्मक आवेश आ जाता है। अर्थात, इलेक्ट्रॉन की कमी के कारण धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है।
उदाहरण- Na

+, K+


ऋणात्मक आवेश(Negative Charge)-

जब किसी वस्तु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं। तो उस पर ऋणात्मक आवेश आ जाता है। अर्थात, इलेक्ट्रॉन की अधिकता के कारण ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है।
उदाहरण- Cl-,Br-

जितने आवेश का स्थानांतरण होता है उतना ही आवेश उत्पन्न होता है।

आवेश का सबसे बड़ा मात्रक फ्रैंकलीन होता है।
आवेश का सबसे छोटा मात्रक फैराडे होता है।

मूल आवेश (Fundamental Charge)-

 किसी भी वस्तु पर कम से कम जितना आवेश हो सकता है। उसे मूल आवेश कहते हैं।
 मूल अवस्था में सबसे कम आवेश इलेक्ट्रॉन का होता है। मूल आवेश का मान 1.6×10-19  होता है। अर्थात, एक इलेक्ट्रॉन का आवेश का मान भी इतना ही होगा किसी भी वस्तु पर इससे कम आवेश नहीं हो सकता है।

संयुक्त अवस्था में पाई जाने वाली वाले कणों में सबसे कम आवेश क्वार्क का होता है। सभी मूल कण क्वार्क से मिलकर बने होते हैं।

आवेश का क्वांटीकरण(Quantization of Charge)-

आवेश का मान सतत ना होकर भिन्न-भिन्न होता है।
किसी भी वस्तु का आवेश सदैव इलेक्ट्रॉन के आवेश के गुणक के रूप में होता है। इसे आवेश को क्वांटीकरण कहते हैं।

आवेश संरक्षण का सिद्धांत(Principle of Charge Conservation)-

आवेश को ना तो नष्ट किया जा सकता है और ना ही उत्पन्न ने किया जा सकता है यह सदैव स्थानांतरण होता है। एक वस्तु से दूसरी वस्तु में।

किसी विलगित निकाय का आवेश सदैव नियत होता है।

 आवेश के प्रकार(Types Of Charge)-

 आवेश दो प्रकार के होते हैं-
  1.  सजातीय आवेश
  2.  विजातीय आवेश
 

 सजातीय आवेश(Same Charge)-

समान प्रकृति के आवेशों को सजातीय आवेश कहते हैं। यह सदैव प्रतिकर्षणका कार्य करता है।
उदाहरण- N-N pole ,S-S pole

विजातीय आवेश(Opposite Charge)-

विपरीत प्रकृति के आवेशों को विजातीय आवेश कहते हैं। यह सदैव आकर्षण का कार्य करता है।
उदाहरण- N-S pole

Previous Post Next Post